दुश्मन तो चीन पाकिस्तान भी है
एक मित्र कहने लगे की यार मोदी का कैसा स्वभाव है, क्या ब्यवहार है, कैसी राजनीति है की सब के सब राजनीतिज्ञ प्रबुद्ध, फिल्मकार, साहित्यकार इनसे नाराज है या यु कहे की दुश्मन है. मैंने कहा की लेकिन दो दुश्मन जिन्हें आप भूल गए. चीन और पकिस्तान! और मेरी समझ से अबतक शायद ही कोई ऐसा प्रधान मंत्री हुआ होगा जिसके इतने दुश्मन रहे हो. आज जितनी चिंता चीन पकिस्तान और बिरोधियो की भारत के लिए है उतना मोदी को नहीं है. जिस विचार को लेकर वे चल रहे है वह कैसे इनको को पसंद आएगा? सबका साथ – सबका विकाश, जरा सोचिये ७० साल से कांग्रेस जाती धर्म क्षेत्र के नाम पर जो विकाश का पैटर्न अपनायी थी इ उस अवधारणा को ही समाप्त करना चाह रहे है, उस किये कराये पर पानी फेरना चाहते है जिसको कांग्रेस ६५ साल बड़ी मेहनत करके तैयार किया है. आखिर सत्ता की कुंजी वोटरों के हाँथ में है और जब वोटबैंक नहीं रहेगा तो इस जनता का क्या चलाना, सत्ता किसी को भी सौंप दे जब की सत्ता चलाने की सारी कला सारी बुद्धिमत्ता केवल कांग्रेस के पास है, यद्यप इनकी बहुत सारी कलाये अब बिरोधी भी सीख चुके है, मोदी के अलावा! मोदी के कथनी करनी में भी अंतर नजर आ रहा है. जो अपने परिवार का नहीं हुआ, राजनीतिग्यो का नहीं हो रहा है, करोडो रुपया खर्च करके जो बेचारे सांसद और विधायक बन रहे है उनसे कह रहे है की न खाऊँगा न खाने दूंगा! कितनी बड़ी तानाशाही है, ज़रा सोचिये कल को अगर कोई चुनाव लड़ने के लिए ही न तैयार हो तो ए कहा से विधायक और सांसद लायेगे? आखिर कोई क्यों सांसद और विधायक बनेगा? समझ में नहीं आता की जो अपने जैसे राजनीतिज्ञ धर्मी और अपने परिवार का नहीं हो रहा है वह देश का कैसे होगा. ए तो एक अच्छे खासे ब्यापार को ही बंद करने पर तुले हुए है.
२०१४ के चुनाव के समय सारे बिरोधी कहते थे की मोदी सत्ता में आएंगे तो पड़ोसियों से सम्बन्ध बिगड़ेगा, तनाव बढ़ेगा, संघर्ष होगा जो शाट प्रतिशत सही साबित हो रहा है. अरे क्या हुआ अगर थोड़ी बहुत जमीन चीन पकिस्तान हथिया ले रहा है, काम से काम सीमा पर शांति तो बानी रहेगी. शान्ति बनाये रखने का गुर इन्हें कांग्रेस से सीखना चाहिए था. कांग्रेस तो तिब्बत चीन को देकर और देश बांटकर शान्ति बनाये राखी और ए एक एक इंच जमीन के लिए पड़ोसियों को नाराज कर रहे है.