ग्रैमी अवॉर्ड ख़ास: संदीप दास
13 जनवरी सोमवार सुबह-सुबह मेरी सहेली ममता का फोन आया. हैलो करने के अंदाज़ से ही लग रहा था, कि ममता बहुत खुश है. खुश होने की बात ही थी. उस बात को हम बाद में शेयर करते हैं, पहले कुछ बात ग्रैमी अवॉर्ड 2017 की, जो इस साल रविवार 12 जनवरी को अमेरिका में आयोजित हुए. आप जानते ही हैं, कि ग्रैमी अवॉर्ड्स संगीत की दुनिया के सबसे बड़े अवार्ड्स हैं.
सिंगर एडेल ने 59 वें वार्षिक ग्रैमी अवॉर्ड्स में बड़ी जीत हासिल की है. रविवार को आयोजित हुए इस शो में एडेल को पांच कैटेगरी में नॉमिनेट किया गया था. एडेल ने इन सभी कैटेगरी में जीत दर्ज की. इसमें एडेल का कमबैक एलबम ’25’ और सिंगल सॉन्ग ‘हेलो’ शामिल था.
शो में दूसरा आकर्षण सिंगर बियॉन्से के नॉमिनेशन थे. बियॉन्से को नौ कैटेगरी में नॉमिनेट किया गया था. इनमें से बियॉन्से ने दो अवॉर्ड जीते. ग्रैमी पुरस्कारों में ब्रिटिश गायिका एडेल का जलवा रहने की बावजूद एडेल ने यह कहते हुए अपनी ट्रॉफी के दो टुकड़े कर दिए, कि बियॉन्से उनसे ज्यादा महान हैं और वह बियॉन्से के साथ ट्रॉफी को साझा करना चाहती हैं. प्रेग्नेंट बियॉन्से बोल्ड अंदाज में स्टेज पर पहुंचीं.7
‘ट्वेन्टी वन पायलट्स’ की मशहूर जोड़ी बिना ट्राउजर के ग्रैमी अवॉर्ड लेने पहुंची. सर्वश्रेष्ठ पॉप जोड़ी समूह श्रेणी में अवॉर्ड की घोषणा होते ही टेलर जोसफ और जोश डन ने सीट से खड़े होकर अपनी पैंट उतार दी और अपने बॉक्सर्स में ही स्टेज पर गए. बहुत साल पहले जब वे संगीत की दुनिया में प्रसिद्ध नहीं हुए थे, तब वे रिकॉर्डेड ग्रैमी अवॉर्ड्स देख रहे थे. उस समय वे दोनों बिना ट्राउजर के थे, मज़ाक-मज़ाक में उन्होंने तय किया- ‘अगर हम ग्रैमी समारोह में जाएंगे और अगर हमने ग्रैमी जीता तो हम ऐसे ही उसे लेंगे.’ मज़ाक की यह बात सच हो गई और वे बॉक्सर्स में ही स्टेज पर ग्रैमी अवॉर्ड लेने गए.
ग्रैमी 2017 में अपने बोल्ड आउटफिट की वजह से लेडी गागा एक बार फिर इंटरनेट पर छाई हुई हैं. यह पहली बार नहीं है जब लेडी गागा ने अपने कपड़ों के साथ एक्सपेरिमेंट किया हो.
ग्रैमी अवॉर्ड 2017 की इन कुछ झलकियों के बाद हम आपको बता रहे हैं, कि मेरी सहेली ममता ने मुझे क्यों फोन किया था और वह क्यों बहुत खुश थीं. असल में उनकी यह खुशी भी ग्रैमी अवॉर्ड 2017 की वजह से ही है. उनके दामाद संदीप दास को भी सर्वश्रेष्ठ विश्व संगीत श्रेणी में ग्रैमी अवॉर्ड मिला है. ग्रैमी अवॉर्ड के पीछे संदीप दास की कितनी तपस्या और त्याग है, यह जानने वाली बात है.
संदीप दास की तबला-शिक्षा महागुरु किशन जी महाराज की देखरेख में हुई. किशन जी महाराज की तपस्या का अंदाज़ा अप इसी से लगा सकते हैं, कि उनकी पत्नि रात को उनके लिए और संदीप दास के लिए भोजन थाली में परोसकर सो जाती थीं, तीन बजे उठकर भी वे देखती थीं, कि गुरु-शिष्य का भोजन वैसे ही पड़ा है और दोनों तबला-वादन सीखने-सिखाने में मग्न हैं. संदीप दास कॉलेज से शुक्रवार शाम को बनारस में गुरु के घर जाते थे, दो दिन तबला-वादन का शिक्षण लेकर वे पुनः कॉलेज की पढ़ाई में लग जाते.
बी.एस.सी. करने के बाद उन्होंने इंजीनियरिंग में चयन के लिए परीक्षा दी, जिसमें उनका चयन भी हो गया. गुरु को बताने गए, तो गुरु ने पूछा- ”तुम पैसे के दास बनोगे या अपने शौक-जुनून के मालिक?” एक अच्छे शिष्य के अंतर्मन में गुरु की यह बात प्रवेश कर गई और उन्होंने पढ़ाई भी छोड़ दी और इजीनियरिंग की सीट भी. अब कोई चिंता नहीं, वे थे और साथ था उनका तबला-वादन का जुनून.
भारतीय तबलावादक संदीप दास और यो यो मा की जुगलबंदी को ग्रैमी अवॉर्ड मिला है. दास सर्वश्रेष्ठ विश्व संगीत श्रेणी में ग्रैमी पुरस्कार जीतने वाले यो यो मा के सिल्क रोड एनसेम्बल के एल्बम ‘सिंग मी होम’ का हिस्सा थे. इस श्रेणी में भारतीय सितारवादक अनुष्का शंकर का एल्बम ‘लैंड ऑफ गोल्ड’ भी नामित था, लेकिन वो पुरस्कार से चूक गईं. यो यो मा के ‘सिंग मी होम’ की धुनें विश्वभर के विभिन्न कलाकारों ने तैयार की हैं. यह एल्बम मा के ‘‘द म्युजिक ऑफ स्ट्रेंजर्स यो यो मा ऐंड दी सिल्क रोड एनसेंबल’ नाम के प्रोजेक्ट पर बनी डॉक्युमेंट्री का हिस्सा है.
इस मौके पर दास ने कहा कि एनसेंबल ने एकता और एक-दूसरे की संस्कृतियों के सम्मान का प्रभावशाली संदेश दिया है. पुरस्कार लेने के बाद दास ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘जब ऐसी चीजें होती हैं तो हम पर इसका सीधा प्रभाव पड़ता है, क्योंकि हमने विभिन्न देशों का बहुत कुछ अपनाया है. वर्तमान में, मुझे लगता है कि हम और संगीत बनाते रहेंगे और प्रेम फैलाते रहेंगे. यहां हम आपको बताते चलें, कि आज संदीप दास अमेरिका में रहते हुए भी ठीक उसी तरह अपने शिष्यों को जुनून से तबला-वादन सिखाते हैं, जिस तरह उनके गुरु किशन जी महाराज उनको सिखाते थे. शिष्य जितने दिन चाहें, उनके घर रहकर कला का अभ्यास करते हैं. अमेरिका में बैंक में उच्चतम पद पर कार्यरत उनकी पत्नि रोज़ सुबह बैंक जाने से पहले उस दिन संभावित शिष्यों के हिसाब से भोजन तैयार करके जाती हैं. ये सब बातें संदीप दास की सास ममता यानी हमारी सहेली ने अपने साक्षात्कार में हमको बताईं.
संदीप दास की संगीत की यह रोशनी बुझने वाली नहीं है. यह वह मशाल है, जो हरदम जलती रहने के लिए ही रोशन हुई है. संदीप दास को हमारी ओर से कोटिशः बधाइयां और उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं.