पागल
पागल यहाँ सब है
बस उसका अंदाज अलग है
कोई अपनों के लिए पागल है
कोई दूसरों के लिए पागल है
कोई लूटने के लिए पागल है
कोई लूटाने के लिए पागल है
कोई पैसा के लिए पागल है
कोई पैसा पाकर पागल है
कोई यहाँ प्यार में पागल है
कोई इन्तजार में पागल है
मैं ही एक ऐसा बदनसीब हूँ
किसी के राह में पागल हूँ
किसी के चाह में पागल हूँ
यहाँ नहीं है कोई मेरा अपना
इन्हीं पागलों में एक पागल हूँ।
शब्दों में बयां करने का कायल हूँ
किसी के चोट से हल्का घायल हूँ
महसूस होता है मिठा मिठा दर्द
सहनशक्ति बढाने में पागल हूँ।
____________रमेश कुमार सिंह ‘रुद्र’
____कान्हपुर कर्मनाशा कैमूर बिहार
________सम्पर्क सूत्र-9572289410
________रचनाकाल -05-12-2016
________समय-09:30 AM