गीत – होरी का गोदान
होरी का गोदान कभी क्या हो पायेगा ?
पाँच पाँच करके हैं बीते साल कई ।
चोर उचक्के हुयें हैं मालामाल कई ।
खादी पहन के कइयों देश को लूट रहे
खादी बुनने वालें हैं बेहाल कई ।
कर्मी आशावान कभी क्या हो पायेगा ?
होरी का गोदान………………………
नित किसान गर्मी मे देह जलाता है ।
क्या अपनी मेहनत भर फल वो पाता है ?
खून पसीना उसका बहता खेतों में ,
लाभ दलालों के खाते मे आता है ।
हलधर भी धनवान कभी क्या हो पायेगा ?
होरी का गोदान…………………….
हर बच्चे को शिक्षा का अधिकार मिले ।
मेहनतकश को एक ठोस आधार मिले ।
शहरों जैसी सुविधायें हो गाँवों में ,
ग्रामदेव को उन्नति का उपहार मिले ।
ऐसा हिंदुस्तान कभी क्या हो पायेगा ?
होरी का गोदान…………………….
— दिवाकर दत्त त्रिपाठी