मेरी रचना बन जाते हो
चहूँ ओर सूरज के
घूमें धरती
वैसे ही…
हर रचना का केन्द्र
तुम बन जाते हो
हर लफ्ज, हर भाव
समर्पित तुमको
जाने – अंजाने हर वक़्त तुम ही
मेरी कविता बन जाते हो
अंजु गुप्ता
चहूँ ओर सूरज के
घूमें धरती
वैसे ही…
हर रचना का केन्द्र
तुम बन जाते हो
हर लफ्ज, हर भाव
समर्पित तुमको
जाने – अंजाने हर वक़्त तुम ही
मेरी कविता बन जाते हो
अंजु गुप्ता