धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

योग-योगी

योगी सम्पूर्ण योग की सफलता का परिणाम होता है।।
योग=जोड़।
योग=अतिप्राचीनविज्ञान।
योगकेजनक=महाऋषि हिरण्यगर्भ।
योग=जीवन जीने की कला सिखाता है।
योग=समनिष्ठ बनाता है।
योग का लछ्य=शुद्धि शांति आध्यात्मिक सुख।
योगी=आत्मा+परमात्मा।
योग=मानव के अंदर छिपी असाधारण शक्ति को जाग्रतकरता है।
योग=आत्म साछात्कार करने का साधन है।
योग=चिकित्सा पद्धति से रूगों का नाश।
योग=दीर्घायु बनाता है ।
योग=ऋग्वेद श्रीमद्भागवतगीता महाऋषि पतंजलि सांख्य दर्शन मे कपिलमुनि स्कन्द पुराण मे भी योग मे महत्व को स्वीकारा है।
योग=प्राकृतिक वातावरण की चुनौतियों मे स्वस्थजीवन जीने की कला सिखाता है।
योग=चित्त की वृत्तियों प्रमाण विपर्यय विकल्प निद्रा स्मृति पर अंकुश लगाता है।
योग= तप स्वाध्याय ईश्वर प्राणिधान अभ्यास बैराग्य के द्वारा चित्त बृत्ति पर अंकुश लगाता है।।
योगकेअंग=यम नियम आसन प्राणायाम प्रत्याहार धारणा ध्यान समाधि।पतंजलि योगदर्शन केअनुसार 8 अंग है।
यम के5 अंग=अहिंसा सत्य अस्तेय ब्रम्हचर्य अपरिग्रह (मनसा बाचा कर्मना)
यम=अहिंसा सत्य अस्तेय ब्रम्हचर्य अपरिग्रह।
नियम=शौच सन्तोष तप स्वाध्याय ईश्वर प्राणिधान ।
आसन=संहिताओं मे 84 आसनों का उल्लेख मिलता है।जिससे शरीर स्वस्थ रखा जा सकता है।
प्राणायाम=निश्चित तरीके से श्वास प्रश्वास की गति को रोकने की छमता बृद्धि करना ही प्राणायाम है।
नियमके5 अंग=शौच सन्तोष तप स्वाध्याय ईश्वर प्राणिधान।

डॉ. जय प्रकाश शुक्ल

एम ए (हिन्दी) शिक्षा विशारद आयुर्वेद रत्न यू एल सी जन्मतिथि 06 /10/1969 अध्यक्ष:- हवज्ञाम जनकल्याण संस्थान उत्तर प्रदेश भारत "रोजगार सृजन प्रशिक्षण" वेरोजगारी उन्मूलन सदस्यता अभियान सेमरहा,पोस्ट उधौली ,बाराबंकी उप्र पिन 225412 mob.no.9984540372