चुनाव -चक्रम
१.
इस जिंदगी में सिर्फ यही काम रह गया
सब को किया है याद, वही राम रह गया |
उस नाम का नहीं है कोई और फायदा
श्रीराम का चुनाव का ही काम रह गया |
सरकार तो गरीब को सब घास डाल दी
केवल अभी तो देखना परिणाम रह गया |
होता चुनाव जब भी स्मरण करते राम को
पर वक्त पर उपाय तो नाकाम रह गया |
वो साम दाम दंड से जीते चुनाव को
नेता हुआ जयी, ठगा तो आम रह गया |
२.
जनता जो वुद्धि हीन सभी को मना लिए
कूकर्म जो भी था सभी नेता छुपा लिए |
अब दोष देखना नहीं कोई कभी यहाँ
सारे खड़े हैं टूटा हुआ आइना लिए |
सब लोग हैं परेशां, रुलाया गरीब को
क्या देश हित में वे सही फैसला लिए ?
वे पांच साल बाद चले ख्वाब गाह से
कोई न पूछना उन्हें, क्या क्या उड़ा लिए |
मंत्री जी से कहो कोई आदर से एक बार
वो कितने पुश्त के लिए दौलत कमा लिए |
कालीपद ‘प्रसाद’