कविता

हम भूले हैं..!

हम भूले हैंं..!
प्रश्न हैं कितने
हमारे जीवन में
अनादि से..
प्रश्न प्रश्न ही रह रहे हैं
निज खोज के अभाव में

धार्मिक विचार हैं अनेक
पोथी पुराणों से जुड़कर
अपने-अपने बढ़प्पन दिखाते
इन प्रश्नों का जवाबदारी मानते
आचरण में निष्फल होते
मानवता का अपहास बनाते

रंग-रूपों में
वर्ण-वर्गों में
सांप्रदायिकता में अपने को बंदी बनाते
अनंत शक्ति को
अपने रूप में खींचते,चित्रित करते
ठगते-फिरते, सत्य से हटते
जीवन यात्रा है हमारा,मूढ़ बनते
अपने मन की शीतल छाया में
अपने का आविष्कार भूले हैं
सत्य के साथ जुड़ने का हम भूले हैं

पी. रवींद्रनाथ

ओहदा : पाठशाला सहायक (हिंदी), शैक्षिक योग्यताएँ : एम .ए .(हिंदी,अंग्रेजी)., एम.फिल (हिंदी), सेट, पी.एच.डी. शोधार्थी एस.वी.यूनिवर्सिटी तिरूपति। कार्यस्थान। : जिला परिषत् उन्नत पाठशाला, वेंकटराजु पल्ले, चिट्वेल मंडल कड़पा जिला ,आँ.प्र.516110 प्रकाशित कृतियाँ : वेदना के शूल कविता संग्रह। विभिन्न पत्रिकाओं में दस से अधिक आलेख । प्रवृत्ति : कविता ,कहानी लिखना, तेलुगु और हिंदी में । डॉ.सर्वेपल्लि राधाकृष्णन राष्ट्रीय उत्तम अध्यापक पुरस्कार प्राप्त एवं नेशनल एक्शलेन्सी अवार्ड। वेदना के शूल कविता संग्रह के लिए सूरजपाल साहित्य सम्मान।