उसकी कहानी भाग – ४
मेने अपनी बेटी से फ़ोन से बात की उसे सब समझा दिया । उससे पूछा मम्मी को बुलाना चाहिए क्या ? वो कहने लगी मम्मी को पता चलेगा तो उनका वापस पहुंचना मुश्किल हो जाएगा । बेहतर है आप ही खून चढ़वाते जाईये मम्मी के आने तक और कहा कि मैं आप के पास आ रही हूँ । बेटी के आने पर मेने उसे बैंकों के हिसाब किताब, वसीयत, मेरी पेंशन के कागज़ पकड़ा दिए । मेरी अंत्येष्टि कैसे करना वगैरह उसे सब समझा दिया ।
अब मेने गहराई से सोचा । अब तो बहुत हो चुका अब तो जाना ही है । मेरे पास जिंदगी के सात दिन बचे हैं । मुझे उसने कितनी बार चेतावनी दी । जो करना है अब तक मुझे कर लेना चाहिए था । मुझे अहसास हुआ कि मेने उसकी याद में ध्यान वगैरह तो किया पर पूरे मन से नहीं किया । पता नहीं मोक्ष मिलेगा कि नहीं । मैं दुविधा में पड़ गया । हमारे मिशन में कहा जाता है कि सुबह ध्यान, शाम को सफाई (अपने दिन भर इकठ्ठा किये विचारों इच्छाओं को शरीर से निकाल फेकना ) रात को प्रभु से प्रार्थना कि जो गलतियां हो माफ़ कर दें । मिशन में कहा जाता है कि इससे मोक्ष मिलता है। मैं दुविधा में था कि यदि मोक्ष मिलता है तो जीते जी उसका आभास होना चाहिए । शायद मृत्यू के बाद मोक्ष मिले ।
मुझे याद आया रामानंद सागर की कृष्णा में सात दिन में मुक्ति का उपाय बताया है । मेने सबसे पहला काम किया कि यू ट्यूब खोल कर रामानंद सागर कि कृष्णा एपिसोड -३ लगाया । बड़े ध्यान से बार बार देखा । उसमें दिखाया गया है कि :
कलयुग के आरम्भ में महाराजा परीक्षित जंगल में गए । कलयुग उनके स्वर्ण मुकुट में बैठ गया और उनकी बुद्धि भ्रष्ट कर दी । महाराजा को प्यास लगी । एक कुटिया देखकर उसके अंदर गए । एक तपस्वी शमीक मुनि वहां बैठे तपस्या कर रहे थे । महाराजा ने उनसे पानी मांगा । तपस्वी तपस्या में लीन थे । महाराजा ने सोचा आँखें बंद करने का ढोंग करके एक राजा को पानी तक नहीं पूछा । महाराजा कलयुग के प्रभाव के कारण गुस्से में आ गए ” एक महाराजा का ऐसा अपमान ” ? उन्होंने एक मरा हुआ सांप मुनि के गले में डाल दिया। मुनि के पुत्र ऋषि श्रृंगी उस समय नदी में नहा रहे थे । उन्हें जब पता चला तो वे आग बबूला हो गए । चंगुल में जल लेकर उन्होंने श्राप दिया कि जिस राजा ने भी ऐसा किया है आज से सात दिन बाद तक्षक नाग के काटने से उसकी मृत्यु हो जाएगी ।
महाराजा ने घर पहुंचकर जब मुकुट उतारा तो उन्हें अहसास हुआ कि कलयुग के प्रभाव से उनसे क्या अनर्थ हो गया है ।
उधर मुनि शमीक को जब पता चला कि उनके पुत्र ने ऐसा अनर्थ कर दिया है तो वह स्वयम चलकर महाराजा परीक्षित के पास पहुंचे । उन्हें बताया कि आपकी जिंदगी मेरे पुत्र के श्राप के कारण सिर्फ सात दिन बची है । आप के पास समय कम है । शीघ्रताशीघ्र अपनी मुक्ति के उपाय सोचिये ।
महाराजा परीक्षित ने पूछा क्या सात दिन के अंदर मुक्ति संभव है ? मुनि शमीक ने उत्तर दिया कि आप अपने गुरु के पास जाएँ वह आपको इसका उपाय बताएँगे । अंत में महाराजा, वेद व्यास के पुत्र शुकदेव के पास पहुंचे । महाराजा ने पूछा कि जिस व्यक्ति की जिंदगी के सात दिन बचे हों वो मोक्ष कैसे पा सकता है ? शुकदेव जी ने उन्हें बताया कि वैसे तो हर व्यक्ति मृत्यु के द्वार पर खड़ा है पर उसे इसका अहसास नहीं होता । मोक्ष के उपाय बताते हुए उन्होंने कहा कि १. मृत्यु के द्वार पर आया मनुष्य घबराये नहीं वैराग्य कि तलवार से शरीर की ममता को काट दे २. ॐ का जाप करे । ३. मन का दमन करे बुद्धि की सहायता से इन्द्रियों को विषय वासनाओ से मुक्त करे। ४. मन से भगवान् की ममतामय मूर्ती का ध्यान करते करते प्रभु के विग्रह में पूर्ण रूप से लीन हो जाए । तब मनुष्य को भक्ति योग की प्राप्ति होगी । शुकदेव जी ने आगे कहा कि शास्त्रों ने कलयुग में सबसे सहज एक ही साधन बताया है भक्ति , और उन्हें भागवत पुराण की कथा सुनाई ।
यह एपिसोड देखकर मुझे विश्वास हो गया कि सात दिन में भी मुक्ति संभव है ।
मैंने अपने मिशन के संस्थापक बाबूजी रामचंद्र जी महाराज से प्रार्थना की । प्रार्थना जिंदगी के लिए बिलकुल नहीं, इसलिए कि मैं अति शीघ्र आपके उस लोक में पहुँचने वाला हूँ वहां पहुँचने पर मेरा ध्यान रखें ।
कौन कहता है कि मौत आई तो मर जाऊंगा मैं तो दरिया हूँ समंदर में उतर जाऊंगा ।