सोचने वाले और करने वाले
अरे यार!!!श दिल्ली में आजकल गंदगी बहुत हो गई है, जहां पर देखो गंदगी के ढेर लगे रहते हैं और यह पब्लिक भी ढेर पर ढेर लगा ती जा रही है, कोई सोचने वाला है ही नहीं” मुंह में रजनीगंधा चबाते हुए रिंकेश ने कहा।
रितेश ने भी हामी भरते हुए गर्दन हिला कर कहा “ये सब किया धराया नेताओं का है केवल और केवल भ्रष्टाचार करते हैं और सारा का सारा पैसा हजम कर जाते हैं” फिर अपनी जेब से सिगरेट की डिब्बी में पड़ी आखिरी सिगरेट को जलाया।
दोनों मित्र देश में फैली गंदगी पर बहुत ही विचार मगन होकर अपने अपने अनुभव रख रहे थे ,।
काफी देर से इंतजार कर रहे थे बस का सहसा बस आ ही गई ।
और रितेश ने अपनी सिगरेट और सिगरेट की डिब्बी फेंकते हुए कहा चल यार जल्दी चल आज गंदगी पर एक मीटिंग है एमसीडी में ,जल्दी चलना पड़ेगा ।
ये बात सुनकर रिंकेश ने भी खाली पड़ा रजनीगंधा का पैकेट सड़क पर फेंकते हुए कहा” चल चल यार जल्दी चल”
दोनों बस की तरफ लपके और बस में चढ़ गए।
तभी एक फुटपाथ पर रहने वाले पागल ने वो रजनीगंधा का पैकेट और सिगरेट का पैकेट उठाकर अपने मैले-कुचैले कपड़ों में लटकी एक जेब में डाल लिया और उन दोनों मित्रों को बस में देख कर मुस्कुराया।
ऐसा देखकर रिंकेश और रितेश दोनों की आंखें झुक गई ।
वो बिल्कुल निशब्द हो गए एक ही नजर से उस पागल को देखते रहे, जब तक वो आंखों से ओझल ना हो गया।