गीत/नवगीत

ज्योतिर्मय हो देश

ज्योतिर्मय हो देश हमारा ज्योतिर्मय हो देश
भारतवासी हम सब पहले कोई भाषा वेश-

 
1.हिंदु-मुस्लिम, सिक्ख-ईसाई सब हैं भाई-भाई
एक मूल से सब उपजे हैं भेद न कोई खाई
प्रभु का नाम न कोई भेष हमारा ज्योतिर्मय हो देश-

 
2.एक गगन के हम सब पंछी प्रेम से हिलमिल रहना
कूं-कूं, पीं-पीं, चीं-चीं, चूं-चूं करके हमें चहकना
सभी का एक ही है परिवेश हमारा ज्योतिर्मय हो देश-

 
3.एक बाग के सुमन सभी हैं रंग अलग तो क्या है
महक हमारी भिन्न-भिन्न हो उससे होता क्या है
सभी का एक अमर उद्देश्य हमारा ज्योतिर्मय हो देश-

 
4.एक ही माला के हम मोती दिखते भिन्न भले हों
एक ही मंज़िल के राही हैं राहें भिन्न भले हों
नहीं कोई भी व्यक्ति विशेष हमारा ज्योतिर्मय हो देश-

 
5.मिलकर रहने से इस देश का गौरव और बढ़ेगा
स्वतंत्रता की सुखद छांव में देश सदा निखरेगा
सुहाना प्यारा भारत देश हमारा ज्योतिर्मय हो देश-

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244