नेता उवाच
यह हिन्दुस्तान है ।
यहाँ नामचीन बदनाम है ।
टूटी सड़क नेता की हड़क
नोट की बारिस
पंचवर्षीय प्रलाप है ।
देते हैं झांसा यह अमुक
मेरा निशान है ।
एक बार अवसर दीजिए ।
पाँच साल फिर आराम कीजिए ।
सबको देखा बार-बार
रंग बदलता एक बार ।
नेता उवाच
सूरज चंदा को धरती पर लाऊंगा।
नहीं फिर कभी मुख दिखाऊंगा ।
ये मेरे खोखले नारे नहीं ,
हिन्दुस्तान की सर ज़मीं पे
सूरज उगाऊँगा ।
बिजली की ज़रूरत नहीं होगी ,
हर घर में सूरज और चाँद को बिठाऊँगा ।
नेता तो बहुत देखे होगे
ऐसा अजूबा नेता कभी नहीं पाओगे ।
तरसते हुए मर जाओ गे
मुझे वोट दो अपने सपने को साकार करो ।
नेता जी के हाथों को मजबूत करो ।
वोट देना चुनाव लड़ना आपका राजनैतिक अधिकार है ।
युग का पटाक्षेप होता है ,
युगल गीत का मंद मंद स्वर सुनाई देता है।
रम भुलाती गम है बाहों में लैला मजनूं ।
ऊपर धुआँ उड़ाते जलता है ये शहर ।
कोकीन के नशे में डूबती है जिंदगी।
बेटा किसी का शौहर रिसती है ज़िदगी ।
फैशन का दौर देखा रिश्ते बदल रहे ।
अहसान भूलते हैं परवर बदल रहे ।
— राजकिशोर मिश्र ‘राज’