प्रेम
प्रेम ही तो है ईश्वर का अनमोल वरदान ,
नहीं है प्रेम सिर्फ एक दिन का मेहमान
सृष्टि से पूर्व बहता था हवाओं में फिजाओं में ,
सृष्टि के बाद भी इंसान की अनिवार्य पहचान
प्रेम एक ऊर्जा है,प्रेम ही है रिश्तों का आधार,
प्रेम को बिसरा कर असत्य है हमारी पहचान
प्रेम परिवार है ,प्रेम ही जनसमूह का आधार ,
प्रेम ही संसार है ,फिर क्यों रहे प्रेम से अंजान