राजनीति

कौन किसको मारा

जिस देश में मृत्यु के गूढ़ रहस्य को भगवान् श्री कृष्ण गीता में बड़े सरल ढंग से परिभाषित किया है उस मृत्यु को अपने स्वार्थ बस किसी अन्य पर थोप जाय तो यह देश का बहुत बड़ा दुर्भाग्य है. होना तो यह चाहिए था की गुरमेहर के बयान को एक उन्मुक्त विचारो वाली मासूम लड़की का प्रलाप मान कर कोई तवज्जो देना चाहिए था. लेकिन अगर बहुत कम पढ़े लिखे राष्ट्रिय खिलाड़ी वीरेंद्र सहवाग एक तुकबंदी भिड़ा ही दिए जो गुरमेहर के बयान का सबसे सटीक उत्तर था , डिग्रीधारियों को खुजली क्यों होने लगी. वैसे ठीक है की यह अधिकार केवल डिग्रीधारियों को ही है लेकिन कभी कभी आम आदमी के मुह से भी सही बात निकल ही जाती है जिससे डिग्रीधारियों का भयभीत होना स्वाभाविक है, क्योकि अगर सभी लोग हर मुद्दे पर अपने अपने राय प्रकट करने लगेंगे तो डिग्री का महत्व ही क्या रह जाएगा ? कन्हैया जैसे लोगो का क्या होगा जो पिछले कई सालो से जे न यू के रंगशाला में पीएचडी कर रहे है. अगर डिग्रीधारी भी आम आदमी जैसी भाषा बोलने लगेंगे तो डिग्री का महत्व ही क्या रह जाएगा. असहिष्णुता , अभिब्यक्ति के आजादी , सर्जिकल स्ट्राइक नोटबंदी पर चुप रहने वाले लोगो का गुरमेहर के बयान पर पिट पिट बोलना डिग्रीधारियों के अस्तित्व पर ही ख़तरा पैदा कर दे रहा है. भला डिग्रीधारी बर्ग इसे कैसे बरदास्त कर पायेगा। अभिब्यक्ति की आजादी का कदापि मतलब नहीं होता की हर ऐरे गैर नाथू खैर इसका फायदा उठाने लगे. जो अभिब्यक्ति कोई तूफ़ान ही न पैदा कर दे उसका मतलब ही क्या है ? गुरमेहर का बयान एक दीर्घ कालिक सोच है. अगर जंग न हो तो जवान क्यों मरेगा, ट्रेन बसे जहाज न हो तो एक्सीडेंट कैसे होगा , गंगा न हो तो उसमे कूदकर लोग जान कैसे देंगे , ? इन सारे मौत के कारको को गुरमेहर की नेस्तनाबूद करने की इक्षा है और इस इक्षा का सम्मान करना प्रत्येक भारतीय का कर्तब्य है , जिसका फिलहाल बुद्धिजीवी बर्ग कर रहा है. इसलिए देश को माननीयो के किसी बयान पर भी टिपण्णी नहीं करना चाहिए और यही हमारी संस्कृति भी रही है.

राजेन्द्र प्रसाद पाण्डेय

रिटायर्ड उत्तर प्रदेश परिवहन निगम वाराणसी शिक्षा इंटरमीडिएट यू पी बोर्ड मोबाइल न. 9936759104