होली पर रंग लगाने को दिल चाहता है
होली पर रंग लगाने को दिल चाहता है ।
थोड़ी भांग खा लेने को दिल चाहता है ।।
अभी तो बचपन की मस्ती गई नहीं है ।
सभी को रंग लगाने को दिल चाहता है ।।
जो खुशियां ज़माने से गुम जो हो गई है ।
फिर से हँसने हंसाने को दिल चाहता है ।।
सभी दोस्त यार सभी भाभियों के संग ।
फिर वही रंग लगाने को दिल चाहता है ।।
अब बहुत गिले शिकवे है ज़माने में हृदय।
फिर सब कुछ भुलाने को दिल चाहता है ।।
कहां अब आजादी कहां नटखट वो बचपन ।
कहां प्रेम वो पुराना जो मेरा दिल चाहता है।।
समटते हुए सभी के वो पुराने प्यारे रिश्ते ।
फिर रंगीन ताज़ा को मेरा दिल चाहता है ।।
— हृदय जौनपुरी