गीतिका/ग़ज़ल

होली पर रंग लगाने को दिल चाहता है

होली पर रंग लगाने को दिल चाहता है ।
थोड़ी भांग खा लेने को दिल चाहता है ।।
अभी तो बचपन की मस्ती गई नहीं है ।
सभी को रंग लगाने को दिल चाहता है ।।
जो खुशियां ज़माने से गुम जो हो गई है ।
फिर से हँसने हंसाने को दिल चाहता है ।।
सभी दोस्त यार सभी भाभियों के संग ।
फिर वही रंग लगाने को दिल चाहता है ।।
अब बहुत गिले शिकवे है ज़माने में हृदय।
फिर सब कुछ भुलाने को दिल चाहता है ।।
कहां अब आजादी कहां नटखट वो बचपन ।
कहां प्रेम वो पुराना जो मेरा दिल चाहता है।।
समटते हुए सभी के वो पुराने प्यारे रिश्ते ।
फिर रंगीन ताज़ा को मेरा दिल चाहता है ।।

हृदय जौनपुरी

हृदय नारायण सिंह

मैं जौनपुर जिले से गाँव सरसौड़ा का रहवासी हूँ,मेरी शिक्षा बी ,ए, तिलकधारी का का लेख जौनपुर से हुई है,विगत् 32 बरसों से मैं मध्यप्रदेश के धार जिले में एक कंपनी में कार्यरत हूँ,वर्तमान में मैं कंपनी में डायरेक्टर के तौर पर कार्यरत हूँ,हमारी कंपनी मध्य प्रदेश की नं-1 कम्पनी है,जो कि मोयरा सीरिया के नाम से प्रसिद्ध है। कविता लेखन मेरा बस शौक है,जो कि मुझे बचपन से ही है, जब मैं क्लास 3-4 मे था तभी से