मुक्तक/दोहा

होली

होरी के रंग मे रंगा गाँव-शहर सब संग,
कलाकन्द गुझिया कटैं देखि पूर्णिमा चन्द।
देखि पूर्णिमा चन्द लाल गुलाल उड़ावै,
खोज खोज कै इक दुसरे का रंग लगावै।।
होरी होरी सब कहैं मन मे उठै उमंग,
पर गरीबका घर नही लछमीजी के संग।
दिनभर श्रम करत मुलु शाम जेब है तंग,
कैसै कपड़ा होरी के पहिरावै लड़िकन अंग।
पकवान बनावै खातिर लड़त सदा है जंग,
पिचकारी मा होरी का भरिहैं कैसे रंग।

डॉ. जय प्रकाश शुक्ल

एम ए (हिन्दी) शिक्षा विशारद आयुर्वेद रत्न यू एल सी जन्मतिथि 06 /10/1969 अध्यक्ष:- हवज्ञाम जनकल्याण संस्थान उत्तर प्रदेश भारत "रोजगार सृजन प्रशिक्षण" वेरोजगारी उन्मूलन सदस्यता अभियान सेमरहा,पोस्ट उधौली ,बाराबंकी उप्र पिन 225412 mob.no.9984540372