कविता

क्रांति

महा क्रांति की है पड़ी जरुरत गौरव को लाना होगा ।
भ्रष्टाचार -काले धन को  अब भारत से जाना होगा ।।
लगी कतार शहीदों की अब बस भ्रष्टाचार ही कारण है ।
गली -गली में चोर उचक्के बस नेतावो के कारण है ।।
जिसकी जितनी चल जाए बस लुट रहा है भारत को ।
अन्दर -बाहर से लुट रहे सब है दर्द दे रहे भारत को ।।
अब दवा अंग्रजी नहीं चलेगी बाबा की दवा जरुरी है ।
राम का प्यारा मरता हो तो संजीवनी बहुत जरुरी है ।।
आग लगाना बहुत जरुरी अब रावन के रनिवासो में ।
वर्ना रावन नहीं मरेगा इन जन -जन के चीत्कारों से।।
उठो हिंद के वीर जवानों अब आग लगा दो लंका में ।
कितने लखन को दफ़न करोगे भ्रष्टाचारी लंका में ।।
वीर शहीदों की पुस्तक को अब लोग जलाने बैठे है ।
जहा लिखी है जाती तकदीरे वहा गुंडे जाकर बैठे है ।।
जिन पहरेदारो पर छोड़ा हमने भारत की शान को ।
लुट रहे सब बने लुटेरे इस गौरवशाली इतिहास को ।।
वन्दे मातरम -जय हिंद –जय भारत ।।
हृदय जौनपुरी

हृदय नारायण सिंह

मैं जौनपुर जिले से गाँव सरसौड़ा का रहवासी हूँ,मेरी शिक्षा बी ,ए, तिलकधारी का का लेख जौनपुर से हुई है,विगत् 32 बरसों से मैं मध्यप्रदेश के धार जिले में एक कंपनी में कार्यरत हूँ,वर्तमान में मैं कंपनी में डायरेक्टर के तौर पर कार्यरत हूँ,हमारी कंपनी मध्य प्रदेश की नं-1 कम्पनी है,जो कि मोयरा सीरिया के नाम से प्रसिद्ध है। कविता लेखन मेरा बस शौक है,जो कि मुझे बचपन से ही है, जब मैं क्लास 3-4 मे था तभी से