गुरमेहर के बाद
गुरमेहर ने जो कहना था कह दिया। उसे नहीं पता था उसकी इस बात से इतना बवाल उठ खड़ा होगा इसलिए वो इससे अलग हो गयी। उसे नहीं पता था उसके अलग होने के बाद भी इतने प्रश्न उठते रहेंगे। जब वो बोल रही थी तो मंत्री, बड़े बड़े स्टार व्यक्तित्व, देशभक्तों ने उसकी खिल्ली उड़ाई। फिर जब गलती समझ आई तो कह दिया मेरा यह मतलब नहीं था। देशभक्तों को तो मौका चाहिए था शुरू हो गए फेसबुक ट्विटर पर फिर कहते है कौन उसके पीछे हाथ धो के पड़ा है? गुरमेहर तो अलग हो गयी पर सैनिकों की शहादत ख़त्म नहीं हुई। आज भी गुरमेहर जैसी दो साल की बच्चियों के सिर से काश्मीर में तैनात सैनिक पिता का साया वैसे ही उठ रहा है जैसे गुरमेहर के साथ हुआ था।
कल जब वो २० साल की होगी और अपनी माँ से पूछेगी कि मेरे पिता को किसने मारा? माँ जवाब देगी वह कश्मीर में पोस्टेड थे। सैनिकों को आदेश था कि कश्मीरियों पर गोली नहीं चलाना, भले ही वह पाकिस्तानी झंडा फहराएं, आतंकवादियों की मदद के लिए पत्थर फेंकें या आतंकवादियों को पनाह दें। एक दिन तेरे पिता आतंकवादियों का पीछा कर रहे थे। कश्मीरी युवकों कि भीड़ हाथ में पाकिस्तानी झंडा, पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगते हुए सैनिकों पर पत्थर फेंकने लगी जिससे आतंकवादी भाग सकें। एक आतंकवादी ने भीड़ के पीछे से छुपकर तेरे पिता पर गोली चला दी। अब तू ही फैसला कर कि तेरे पिता को किसने मारा आतंकवादी ने, पाकिस्तानी झंडे वाले काश्मीरियों ने, या देश ने, जिसने कहा कि गोली ना चलाना? १८ साल बाद जब वो कॉलेज के सम्मलेन में बोलेगी तो क्या बोलेगी? उसके पिता को किसने मारा?
— रविन्दर सूदन