“सा दिन”
प्यास में अपनी पानी ढूंढ,
मरकर नई ज़िदंगानी ढूंढ!
कतरा बन समा दरिया में,
समंदर से मिल रवानी ढूंढ!
बाद तेरे तेरा चर्चा हो,
ज़माने में ऐसी कहानी ढूंढ!
या इश्क हो तो राधा सा,
या मीरा सी कोई दीवानी ढूंढ!
थी तैयार मिटने जो वतन पे,
वो खोई कहां जवानी ढूंढ!
राज करें जहां सब मिलकर,
‘जय’ ऐसी रजधानी ढूंढ!
— जयकृष्ण चांडक “जय”