गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 28/11/202428/11/2024 0 Comments ग़ज़ल कोई कर के वो भूल आया है,शोहरतें कर के धूल आया है। जिसकी कांटों के जैसी फितरत वो।आज बनकर के Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 15/10/202415/10/2024 ग़ज़ल चाह जिसकी थी वो मिला ही नहीं,हक कभी फैसला हुआ ही नहीं। नाखुदाओं से भर गई बस्ती,अब कहीं एक भी Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 18/09/202418/09/2024 ग़ज़ल महज़ नज़र का धोखा है,ये न समझ के मौका है। किसने राहें आसां की,किसने रस्ता रोका है। इक कतरे ने Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 26/08/202426/08/2024 ग़ज़ल ज़िंदगी बेहिसाब देखेंगे,आज पी के शराब देखेंगे। लोग कहते हैं, है बुरी दुनिया,हम भी होकर ख़राब देखेंगे। आपने खूब हमें Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 17/07/202417/07/2024 ग़ज़ल मुस्कुराहट और खुशी है हर तरफ।कोई तो फिर भी कमी है हर तरफ। मौत के ड़र से उबरकर देखिये,ज़िंदगी ही Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 01/07/202423/06/2024 ग़ज़ल रंग कितने बदल गया पानी,हाथ से अब निकल गया पानी। कोई गढ्ढा हो ताल, सागर हो,घर हो कैसा भी पल Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 07/06/202407/06/2024 ग़ज़ल कल की चिंता आज नहीं,अंत है ये आग़ाज़ नहीं। फ़ितरत है शीशे जैसी,अपने दिल में राज़ नहीं। माँ, बाबा की Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 25/05/202425/05/2024 ग़ज़ल दूर होकर करीब ज़िंदा है।मेरे भीतर नसीब ज़िंदा है। पढ़ रहा जो मुझे किताबों सा,कोई अब भी अदीब ज़िंदा है। Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 10/04/202410/04/2024 ग़ज़ल आपकी नज़रें, नज़ारा खूब हंगामा हुआ।और फिर कात़िल इशारा खूब हंगामा हुआ। इश्क़ के इस खेल में कुछ भी पता Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 08/03/202408/03/2024 ग़ज़ल ख़ुद को ही अब ज़रा सा संभालें चलो,आज गर्दिश से ख़ुद को निकालें चलो।क्या पता कौन सी, कैसी करवट गिरे,एक Read More