बाल कविता

देखो ना !

देखो ना समय कैसा आया है।
सबको भेड़ चाल ने बहकाया है।
ममी कहती डाक्टर बन जाओ;
जाने दिल में क्या आया है।
इम्तिहान में पढ़ें कितना हम ;
हमें रातों को भी जगाया है।
पापा कहते वकील बन जाओ;
पर हमें न कोई जान पाया है।
पढें और कितना हम बताओ;
फिर मौसम ने हमें सुस्ताया है।
सबको कैसे समझाएं हम यह ;
हमें तो खेलना कूदना भाया है।
मस्ती भरे दिन ना आएंगे फिर;
हमने तो बस यही समझाया है।
बचपन पर न बोझ डालो इतना;
अभी तो मन कोमल मुस्काया है।

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |