लघुकथा

घोंसला

मिसेज़ रस्तोगी आंगन में कपड़े सुखाने गईं तो उन्हें कुछ हलचल महसूस हुई. ध्यान से देखा तो पाया कि खिड़की के ऊपर एक चिड़िया तिनका तिनका जमा कर अपना घर बना रही थी. इस घोंसले में वह अपने अंडे देगी. अंडों से निकले चूज़े एक दिन बड़े हो जाएंगे और घोंसला छोड़ कर उड़ जाएंगे. उन्होंने भी तो इसी तरह तिनका तिनका घर सजाया था. आज बच्चे बड़े हो गए और अपने अपने आकाश में उड़ने चले गए. पर वह कभी इसका अफसोस नही करतीं. चिड़िया भी तो अपने बच्चों की परवाज़ पर अंकुश नहीं लगाती.

*आशीष कुमार त्रिवेदी

नाम :- आशीष कुमार त्रिवेदी पता :- C-2072 Indira nagar Lucknow -226016 मैं कहानी, लघु कथा, लेख लिखता हूँ. मेरी एक कहानी म. प्र, से प्रकाशित सत्य की मशाल पत्रिका में छपी है