मनोहर पर्रिकर के रुप में गोवा में लौटा असली शिगमोयोद्धा
11 मार्च 2017 को आए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजों ने इस बार की होली को उन लोगों के लिए और भी अधिक रंगमय बना दिया, जो ऐसे ही कुछ अप्रत्याशित नतीजों की उम्मीद लगाए हुए थे। पंजाब में आम आदमी पार्टी को झटका देकर कांग्रेस को बहुमत मिलना और उत्तरप्रदेश व उत्तराखण्ड में भारतीय जनता पार्टी की अद्भुत, अकल्पनीय और अविश्वसनीय विजय ने लोगों में अभूतपूर्व उत्साह भर दिया। गोवा और मणिपुर अपनी असमंजस की स्थितियों के चलते अलग तरह से चर्चा में रहे। लेकिन कांग्रेस द्वारा गोवा में बीजेपी की बनने जा रही सरकार में अवरोध डालने के लिए मामले को जिस तरह सुप्रीम कोर्ट में घसीटने का असफल प्रयास किया गया, उसने गोवा और पर्रिकर को पूरे देश की सुर्खियां बना दिया। अचानक से मनोहर पर्रिकर फिर एक बार अखबारों से लेकर न्यूज़ चैनलों और सोशल मीडिया के हीरो बन गए। उनकी सादगी और उनके राजनैतिक त्याग के चर्चे देश पटल पर फिर से होने लगे। और इस सबसे बढ़कर गोवा के लोग खुशी से झूम उठे, क्योंकि गोवावासियों का सुपरहीरो अब पूरी तरह से उनका अपना मनोहर बनकर वापस आने वाला था।
गोवा का शिगमोत्सव पूरे भारत में लोकप्रिय उत्सव है। दूर दूर से पर्यटक शिगमोत्सव परेड देखने आते हैं। यह उत्सव होली के दूसरे दिन से शुरु होकर 14 दिनों तक चलता है। होली के दिन गोवावासियों को स्पष्ट हो गया था कि मनोहर पर्रिकर ने रक्षामंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है और वे गोवा के चौथी बार मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। इस खबर ने 14 मार्च से मनाए जाने वाले शिगमोत्सव में मानो जान डाल दी। वैसे भी शिगमोत्सव मनाने के पीछे एक कारण यह बताया जाता है कि गोवा के योद्धा दशहरा के समय रणभूमि में युद्ध करने के लिए घरों से निकलते हैं और दुश्मनों को पराजित कर विजयी योद्धा बनकर होली पर वापस आते हैं। उनके वापस आने की प्रसन्नता और उनको सम्मान देने के लिए पूरे गोवा में शिगमोत्सव मनाया जाता है। मनोहर पर्रिकर भी एक सच्चे योद्धा की तरह देश के रक्षामंत्री बनने नवम्बर 2014 में गोवा छोड़कर गए थे और उनकी वापसी इस साल शिगमोत्सव के दिन हुई। वे सही मायनो में गोवा के शिगमो योद्धा के रुप में गोवा वापस आए हैं।
उन्होंने वास्तव में भारत के रक्षा मंत्री के रुप में स्वयं को एक शिगमो योद्धा साबित किया है। रक्षा मंत्री रहते हुए उन्होंने भारतीय सेना के बल में वृद्धि कराने के उद्देश्य से कई बड़े रक्षा सौदे किए। नियंत्रण रेखा (एलओसी) पारकर पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में की गयी सर्जिकल स्ट्राइक जैसे अदम्य साहस वाले निर्णय ने उनको एक असली विजयी शिगमो योद्धा के रुप में प्रतिष्ठित किया है। पर्रिकर के रक्षामंत्री से फिर मुख्यमंत्री बनने को राजनीतिक विश्लेषक, विचारक, बुद्धिजीवी और आलोचक अपनी अपनी तरह से विवेचना कर रहे हैं। लेकिन गोवावासी को इन सब राजनैतिक बातों से कोई लेना देना नहीं हैं, क्योंकि उनके लिए इससे अधिक खुशी की बात और कोई नहीं है कि उनका चहेता नेता फिर से उनका पूरा हो गया है। पर्रिकर की सादगी और अपनेपन वाले स्वभाव ने गोवा के हर व्यक्ति के हृदय में अपने लिए स्थान बनाया हुआ है। सादगी से भरे करिश्माई व्यक्तित्व इस समय के राजनैतिक माहौल में बिरले ही देखने को मिलते हैं।
पर्रिकर अपनी सादगी के लिए जाने जाते हैं। रक्षा मंत्री रहते हुए गोवा आने पर वे गोवावासियों से उतनी ही शालीनता और सहजता से मिलते रहे हैं। एक आधी बांह वाली कमीज और साधारण पैंट पहनने वाले, शादी समारोह हो या विधान सभा चुनाव की लाइन हो आम लोगों के साथ आम आदमी की तरह लाइन में खड़े दिखने वाले, आम चाय की दुकान पर स्कूटर खड़ा करके चाय पीते दिखने वाले, निजी जीवन में पत्नी मेधा के कैंसर से निधन का गहरा आघात मौन सहन करने वाले, अपने दो किशोर बेटों के एकल अभिभावक की निष्ठापूर्ण भूमिका निभाने वाले, गोवा के मापुसा में जन्मे, 1978 में आईआईटी बॉम्बे से बीटेक और एमटेक देश के किसी राज्य के मुख्यमंत्री बनने वाले पहले आईआईटी स्नातक, मुख्यमंत्री बनने के बाद भी अपने पुश्तैनी घर में रहने वाले मनोहर पर्रिकर हमेशा अपनी साधारण जीवनशैली के लिए चर्चित रहते हैं।
उनका राजनैतिक सफऱ आईआईटी से निकलने के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ने से शुरु होता है। 26 साल की छोटी सी उम्र में संघचालक, राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान उत्तरी गोवा में प्रमुख संगठनकर्ता, 1994 में पहली बार विधायक, 1999 में गोवा विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष, 24 अक्टूबर 2000 में गोवा में पहली बार बनी भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री, फिर 2002 में मुख्यमंत्री और 2012 में अकेले पूर्ण बहुमत से जीतकर गोवा के मुख्यमंत्री बनने से लेकर भारत के एक सशक्त रक्षा मंत्री बनने तक की उनकी कर्मठशील राजनीतिक यात्रा में पर्रिकर ने अथक परिश्रम करते हुए देश की जो सेवा की है, उसने ही उनको गोवा की ही नहीं वरन् देश की जनता का चहेता नेता बनाया है। ऐसा लोकप्रिय नेता जब गोवा का मुख्यमंत्री बनकर शिगमो योद्धा की तरह वापस गोवा आया है, तब गोवावासी खुशी से झूमकर उनके शौर्य के सम्मान में घोड़ेमोड़नी नृत्य कर रहे है।
पर्रिकर के जाने से गोवा कुछ अधूरा सा लगता था। हांलाकि इस सबके बावजूद भी उन्होंने गोवा को हर सम्भव समय दिया था। रक्षा मंत्री बनने के बाद भी गोवा में पर्रीकर की मांग हमेशा रही। उनकी लोकप्रियता इसी से समझी जा सकती है कि विधान सभा चुनाव से पहले भाजपा को कई बार ये आश्वासन देना पड़ा था कि अगर गोवा की जनता चाहेगी तो पर्रिकर को केंद्र से राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में वापस भेजा सकता है और अंततः केंद्र को वैसा करना भी पड़ा। राजनीतिक और अदालती कसौटी पर खरे उतरने के बाद 14 मार्च, 2017 को मनोहर पर्रिकर ने चौथी बार गोवा के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। गोवा बहुत ही प्रसन्न है क्योंकि वो फिर मनोहरमय हो गया है।