मुक्तक
“मधुमास ”
मापनी २२ २२ २२ २२
मधुमास दिलाशा बोली की
पट पीली चुनरी चोली की
रंग दे छैला लाल महलिया
उबटन लागी होली की।।-1
सजना तुम बहुत अनारी हो
लाए सूखी पिचकारी हो
जाओ सौतन के घर जाओ
जँह बसंती रात गुजारी हो।।-2
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी