मुक्तक/दोहा

मुक्तक

“मधुमास ”

मापनी २२ २२ २२ २२

मधुमास दिलाशा बोली की

पट पीली चुनरी चोली की

रंग दे छैला लाल महलिया

उबटन लागी होली की।।-1

सजना तुम बहुत अनारी हो

लाए सूखी पिचकारी हो

जाओ सौतन के घर जाओ

जँह बसंती रात गुजारी हो।।-2

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ