हाइकु
हाइकु
———————
एक ओंकार
ब्रम्हांड का आधार
निर्मल धार
—————
अनंत नाद
होती गुंजायमान
शब्द लहरी
—————
चेतना शून्य
मृतक के समान
हुआ निष्प्राण
—————–
नापी न जाए
शून्य की गहराई
बहुत बड़ी
—————–
रमा प्रवीर वर्मा
हाइकु
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एक ओंकार
ब्रम्हांड का आधार
निर्मल धार
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अनंत नाद
होती गुंजायमान
शब्द लहरी
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चेतना शून्य
मृतक के समान
हुआ निष्प्राण
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नापी न जाए
शून्य की गहराई
बहुत बड़ी
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रमा प्रवीर वर्मा