गीत/नवगीत

माहिया गीत….”जीवन ये मधुवन”

 

तुमसे मिल के जाना।
जीवन ये मधुवन ।
था पहले बेगाना ।

हर शाम सुहानी है।
साथ मिला जबसे ।
ये रात रुहानी है।
ओ मेरे परवाना।
शम्मा भी तड़पे।
था पहले बेगाना………….(१)

घनघोर घटा छाई।
बूंदों की सरगम।
सुधियाँ तेरी लाईं।
बादल बन छा जाना ।
ओ मेरे साजन।
था पहले बेगाना…………..(२)

तुमसे जीवन जोड़ा ।
बस तेरी खातिर ।
सारा ही जग छोड़ा ।
दिल तोड़ नही जाना ।
मीत कसम खाओ ।
था पहले बेगाना…………..(3)

तुम मेरी हो धड़कन ।
जो दिल गूँज रही ।
अनहद सा हो “गुंजन” ।
काजन बन बस जाना ।
मेरी अँखियों में ।
था पहले बेगाना ………….(४)

?……अनहद गुंजन गीतिका

गुंजन अग्रवाल

नाम- गुंजन अग्रवाल साहित्यिक नाम - "अनहद" शिक्षा- बीएससी, एम.ए.(हिंदी) सचिव - महिला काव्य मंच फरीदाबाद इकाई संपादक - 'कालसाक्षी ' वेबपत्र पोर्टल विशेष - विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं व साझा संकलनों में रचनाएं प्रकाशित ------ विस्तृत हूँ मैं नभ के जैसी, नभ को छूना पर बाकी है। काव्यसाधना की मैं प्यासी, काव्य कलम मेरी साकी है। मैं उड़ेल दूँ भाव सभी अरु, काव्य पियाला छलका जाऊँ। पीते पीते होश न खोना, सत्य अगर मैं दिखला पाऊँ। छ्न्द बहर अरकान सभी ये, रखती हूँ अपने तरकश में। किन्तु नही मैं रह पाती हूँ, सृजन करे कुछ अपने वश में। शब्द साधना कर लेखन में, बात हृदय की कह जाती हूँ। काव्य सहोदर काव्य मित्र है, अतः कवित्त दोहराती हूँ। ...... *अनहद गुंजन*