भजन/भावगीत

कान्हा

मन में बसी श्याम की मनमोहक काया।
सजे अधर पे बंसी सुर मधुर सजाया।
भूली सब काम-धाम मैं देखो सखियो;
मोर-मुकुट संग ह्रदय क्यों हाय लगाया।
धुन मधुर बजाता और माखन चुराए;
देखी भोली सूरत दिल ना भर पाया।
रास जब रचाए है गोपियों के संग;
करे नृत्य संग श्याम हैं कैसी माया।
असीमित करती प्रेम राधा औ’मीरा;
पाकर भी कान्हा को किसने है पाया।
कामनी गुप्ता***
जम्मू !

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |