सुख दुख तो अक्सर आते हैं
आशा और निराशा दोनों पलड़े एक तराज़ू के
और तुला का ऊपर नीचे होना नियम कहाता है
सुख दुख तो अक्सर आते हैं कुछ बांटो का रूप धरे
और इनका आना जाना ही जीवन क्रम कहलाता है
बड़े बड़े ज्ञानी डूबे हैं इनके झंझावातो में
मगर अधिकतर लोग अकेले ऎसे ही हालातो मे
जिनसे टकरा कर ही मानव पुरुषार्थी बन जाता है
और तुला का ऊपर नीचे होना नियम कहाता है
नज़र नही आते दुनिया को जिनके आँसू जिनके गम
उनके लिए समय बन जाता खुद ही एक बड़ा मरहम
यह भर देता घाव सभी के मन की जोत जलाता है
और तुला का ऊपर नीचे होना नियम कहाता है
— मनोज श्रीवास्तव