काव्यमय कथा-13 : मीठी-मीठी बातों से सदा बचो
गीदड़ तीन देख हाथी को,
खाने को थे ललचाए,
बिना किसी तरकीब के हाथी,
बस में कैसे आ पाए?
गीदड़ गठरी लेकर धन की,
बोले, ”हाथी मामा जी,
नदी पार करके दिखलाओ,
बनवा देंगे पजामा जी.”
नदी पार करने को जैसे,
हाथी उतरा पानी में,
दलदल में फंसकर पछताया,
छला गया नादानी में.
फंसे हुए हाथी पर तीनों,
गीदड़ टूट पड़े थे,
मीठी बातों में हाथी को,
खोने प्राण पड़े थे.