ग़ज़ल
यकीं है हमको ये मेरा प्यार याद आएगा
मैं कोई पल नहीँ हूं गुज़रा तू भूल जाएगा ।
मैंने नज़रें ये तेरे रुख़ पर ही बिछा रखी हैं
एक न एक दिन चाहत का सलाम आएगा।
नहीं जी सकोगे तन्हा तुम अब मेरे बग़ैर
होगी मेरी ज़रूरत तुम्हें वो मकाम आएगा।
हाल हो जाएगा इक दिन तेरा दिवानों सा
बस वफा ए प्यार के नगमे तू गुनगुनाएगा।
हद तो तब होगी जब ये लोग हाल पूछेंगे
बिना ही बात के जब ख़ामोश मुस्कराएगा।
हम मोहब्बत में जोड़ लेंगे रूह का रिश्ता
जुदा हुए तो न इक पल भी जिया जाएगा ।
यूं बनके जोगी फिरेगा मोहब्बत के लिए
सांस की लय पे तू बस प्यार प्यार गाएगा।
इस कदर जब भी मोहब्बत हो गई ‘जानिब’
सुन नाम तेरा भी फरिश्तों में गिना जाएगा ।
— पावनी दीक्षित ‘जानिब’