अगर तुम दो कदम भी साथ आओ तो
अगर तुम दो क़दम भी साथ आओ तो,
अगर तुम हमसफ़र बन कर बताओ तो.
सफ़र की मुश्किलें आसान कर दोगी,
अगर तुम हाथ अपने भी बढ़ाओ तो.
खिलेंगे फूल तुम जो हाथ धर दोगी,
अगर तुम बाग़बाँ बन कर खिलाओ तो.
अमावस में चँदनिया रात कर दोगी,
अगर तुम चाँद बन कर घर सजाओ तो.
मुझे तूफाँ न आने की खबर दोगी,
अगर तुम प्रेम मलयानिल बहाओ तो.
धरा पर स्वर्ग का निर्माण कर दोगी,
अगर तुम प्रीत का अमृत पिलाओ तो.
कहाँ बनता बिना शृंगार घर ‘आकुल’,
अगर तुम घर समझ के घर बसाओ तो.