कविता – यूपी से स्पेशल होली
(यूपी से स्पेशल होली की शुभकामनायें देती रंगभरी कविता)
अब के पहले होली थी बस अख़बारों की होली
सत्ता मद में डूबे बस कुछ परिवारों की होली
सड़कें टूटीं और बनीं, ठेकेदारों की होली
जातिवाद के रंग रँगी थी रंगदारों की होली
लखनऊ से मथुरा तक थी गुंडेबाजों की होली
पिचकारी थी जब्त रही कब्जे बाजों की होली
पैरों के छालों पर थी, तलवे चट्टों की होली
सड़कों पर दिखती थी बस चाकू कट्टों की होली
संतों पर लाठी बरसी, वर्दी वालों की होली
थी गरीब की थाली पर मालामालों की होली
शिक्षा के मंदिर में थी बस नक्कारों की होली
मेहनत कश रोया था, बस थी मक्कारों की होली
हुआ पलायन सबने देखी कैराने की होली
नेता के चरणों में लेटी हर थाने की होली
लूटपाट में डूबी थी रोड़ों सड़कों की होली
छेड़छाड़ के रंग में डूबे कुछ लड़कों की होली
थी समाजवादी रंग में बस अपराधों की होली
जनता की आशाओं पर झूठे वादों की होली
लेकिन जनता जाग गयी, अब बदल गयी है होली
रंगबाजों के हाथों से अब निकल गयी है होली
पिचकारी से निकल रही है परिवर्तन की होली
यूपी में अब बरस रही है जन गण मन की होली
हर तबके का रंग मिलाकर एक हुयी है होली
सालों में अब आकर के कुछ नेक हुयी है होली
गोकुल में फिर से छायी है सांवरिया की होली
यूपी सारी खेल रही है केसरिया की होली
आज अवध में खुलकर रघुवीरा ने खेली होली
बरसों बाद लगी बासंती अब अलबेली होली
कट्टरता पर कालिख मलकर झूम रही है होली
भगवा लेकर गली गली में घूम रही है होली
भारत माँ के जयकारों से युक्त हुयी है होली
छाती सबकी तनी हुई, भयमुक्त हुयी है होली
यूपी के तन पर लगकर अब दमक रही है होली
छप्पन इंची सीने पर अब चमक रही है होली
— कवि गौरव चौहान