दर्द
डूब जाने का अपना अलग ही मजा है ,
न समझाओ हमें बिखरते हुए ख्वाबों की तरह !
न होंगे हम तो किसको गीत सुनाओगे !
उजड़े हुए चमन से कैसे निजात पाओगे !
समंदर है दिल यूँ तो आज भी हमारा ,
जरा तैरना तो सीख लो तुम !
दर्द को अकेले कैसे सह पाओगे !
चिराग नहीं जलते तेज तूफानों में !
सूरज हैं हम दिया कैसे जलाओगे !
आंसुओं का कारवां दफ़न है आज भी सीने में ,
दर्द को कैसे देख पाओगे तुम !!