एक गीत….1222,1222,1222,1222 बह्र पर
कभी अहसास से मेरे तिरे अहसास मिल जाते ।
दिये जो जख्म हैं दिल पर उन्हें तुम काश सिल जाते ।
बड़ी नादाँन सी हसरत मचलती ही रही अक्सर।
विरह की एक चिंगारी सुलगती ही रही अक्सर ।
जो तुम मिलते खिजां के दौर में मधुमास खिल जाते ।
दिए जो जख्म हैं दिल पर उन्हें तुम काश सिल जाते………(१)
रहे खामोश तो हमदम हमारी जान जायेगी ।
अगर लब खोलते दुनिया हमें पहचान जायेगी ।
सुकूं मिलता नयन से जो तेरे आभास मिल जाते ।
दिए जो जख्म हैं दिल पर उन्हें तुम काश सिल जाते…..(२)
भुला पाती नही तुमको हमेशा याद करती हूँ ।
तुम्हें ही हर घड़ी दिल मे सनम आबाद करती हूँ ।
खुदा से हर घड़ी करती यही अरदास मिल जाते ।
दिए जो जख्म हैं दिल पर उन्हें तुम काश सिल जाते…..(३)
न जाने तुम हमें क्यूँकर नजरअंदाज करते हो
तुम्हारा नाम ले सुबहा का हम आगाज करते हैं ।
तेरी खातिर जमाने भर को नजरंदाज करते हैं ।
भले तुम दूर रहते पर जिगर के पास मिल जाते।
दिए जो जख्म हैं दिल पर उन्हें तुम काश सिल जाते ………(४)
……© अनहद गुंजन गीतिका ®