गीत/नवगीत

गीत : यूपी में सत्ता परिवर्तन

(यूपी में सत्ता परिवर्तन की वजह बताती मेरी नयी कविता)

कई बरस की पीड़ा लेकर गंगा मैया घायल थी
सरकारी जमात केवल वोटों के पीछे पागल थी

मौलाना को वेतन, संतों पर लाठी के हमले थे
पानी मिला खजूरों को, सूखे तुलसी के गमले थे

मुआवजों में अपराधी का मज़हब देखा जाता था
मंदिर छोड़ मज़ारों पर ही माथा टेका जाता था

हरे रंग के आगे सब कुछ फीका फीका लगता था
कभी कभी तो यूपी पाकिस्तान सरीखा लगता था

100 नंबर को दो नंबर के काम चिढाते रहते थे
अपराधी संग पुलिस परस्पर प्रेम बढ़ाते रहते थे

कैराने में हमने भी कश्मीरी मंज़र देखा था
गौ माता की गर्दन पर जेहादी खंज़र देखा था

इफ़्तारों की हुयी खुशामद, रामकथा के लाले थे
यू पी मुगलिस्तान बने, कुछ ऐसे सपने वाले थे

हद की हद भी जब हो बैठी, जनता को तब ज्ञान हुआ
धर्म सनातन खतरे में है ये सबको अनुमान हुआ

ठान लिया, जनता ने, अब की जात पात का काम नहीं
मुफ्त कोई उपहार न लेंगे, और चाहिए दाम नहीं

केवल मुस्लिम रटने वालों की छाती पर चोट करें,
धर्म पीढियां बची रहें,अब की कुछ ऐसा वोट करें,

ऐसा बटन दबाया जनता ने,तस्वीर बदल डाली,
सत्ता को जो समझे अब्बा की जागीर बदल डाली

गौ गंगा गायत्री सबका मन इतना हर्षाया है
आज शान से देखो यू पी में भगवा लहराया है,

आंगन आंगन चहक रहा है, अवध पूरी से धाम का
बच्चा बच्चा बोल रहा है, जय कारा श्री राम का
— कवि गौरव चौहान