कविता

बेअदब दुनिया

बेअदब दुनिया वाले आज
उठा रहें हैं अदब का ज़नाज़ा,
जिसका जितना ऊंचा कद
उतना ऊंचा उठता है ज़नाज़ा ,
बेचारा आम आदमी
इन बेअदबो से अदब से पेश आता है,
फिर भी वह इन ऊंचे कद वालों के सामने
“बेअदब” नज़र आता है,
मजबूरी में आज ‘अदब’ आदमी
इन बेअदबो को झेल रहा है,
और इस अदब के ज़नाज़े में ,
रोते रोते पीछे चल रहा है.
— जय प्रकाश भाटिया 

जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया जन्म दिन --१४/२/१९४९, टेक्सटाइल इंजीनियर , प्राइवेट कम्पनी में जनरल मेनेजर मो. 9855022670, 9855047845