मदिरा सवैया
मदिरा सवैया … ७ भगण एक गुरू
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(1)
लेप दियो वृषभान सुता ,नवनीत मनोहर गाल सखी
रूठ गये नटनागर ली पग -धूरि उछालत ग्वाल सखी
खोंस लई मटकी पटकी दधि ,लेप दियो सब बाल सखी
लोट गये धरती पर मोहन , ढाँप लियो मुख भाल सखी
(2)
छाड़ि चले जमुना तट माधव ,मोहक तान सुनावत ना
बाल सखा बहु -भाँति मनावत ,शीश धरे पग मानत ना
खाय पछाड़ निढाल परे सब ,धेनु चरावन जावत ना
सूझत ना कछु श्याम बिना मन ,झूमत नाचत गावत ना
— लता यादव