ओ माँ
ओ माँ ओ माँ इधर तो आओ मुझे कुछ कहना।
मुझे तूने जिन्दगी दी है तेरे साथ है अब रहना।
मेरी खुशी अब तेरी खुशी बन गई है यहाँ पर,
अब तेरे पास रहकर मुझे तेरे साथ है चलना॥
तूँ ही तो कही थी कल बाजार ले जाऊंगी मैं।
सर्कस दिखाकर तुम्हें मिठा भी खिलाऊंगी मैं।
बाजार में तुम्हें घुमाकर कपड़े की दुकान से,
सुन्दर सुन्दर कपड़ा खरीदकर पहनाऊंगी मैं॥
_______________@रमेश कुमार सिंह ‘रुद्र’
(कान्हपुर कर्मनाशा कैमूर बिहार)