भाई हो तो ऐसा -लघु कथा
हमारे पड़ोस में सरदार जसवीर सिंह और धर्मबीर सिंह रहते थे । बड़े भाई जसबीर सिंह के तीन बच्चे दो लड़की और एक लड़का था और उनकी पत्नी का नाम जसबीर कौर था । आश्चर्य की पति- पत्नी का नाम एक ही था । धर्मबीर की अभी शादी नहीं हुई थी हालांकि शादी की उम्र हो रही थी । धर्मबीर सिंह बहुत शौक़ीन-रंगीन स्वाभाव का था ,उसे जो लड़की दिखाई जाती वह नापसंद कर देता ।धर्मबीर जब चार साल का था तब ही माँ गुजर गई । पिता अपंग थे ,परिवार का बोझ जसबीर पर आ गया और उसने छोटे -बड़े सब काम करके पिता और भाई को पाला इसलये बड़ा भाई जसबीर अपने छोटे भाई को हद से ज्यादा प्यार करता था और उसकी हर ख्वाहिश पूरी करता था ,कभी भी धर्मबीर के ऊपर अपनी मर्जी नहीं थोपी । धर्मबीर मुश्किल से दो तीन क्लास पढ़ा था लेकिन टूटी फूटी अंग्रेजी बेहिचक बोलता रहता था । बहुत हंसमुख, बहुत मिलनसार ,मिनटों में किसी को प्रभावित कर देता था ।
जसबीर सिंह ने अथक परिश्रम से पैसे कमाकर सिलाई मशीन की दुकान और टेबल बनाने की फैक्ट्री खोली जो खूब चल निकली और वे बहुत शानोशौकत से रहते थे । दोनों भाई साथ ही काम पर साथ निकलते। धर्मबीर कम जिम्मेदार था ,बस शौक -शान ज्यादा करता था ।
कुछ समय तक घर में खूब सुख शांति रही । जसबीर कौर ने जसबीर सिंह पर दबाव डालना शुरू किया कि इसकी शादी कर दो और अलग कर दो । मैं इसके काम अब नहीं कर सकती । घर में तनाव बढ़ने लगा । एक दिन जसबीर सिंह बाहर गाँव गए हुए थे तो उनकी पत्नी की रोने चीखने की आवाज आई ,वह बदहवास स्थिति में हमारा दरवाजा पीट रही थीं ,दरवाजा खोलते ही वो मुझपर आकर गिरी ।
“मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया ,पानी पिलाया और पूछा क्या हुआ” ? वह धर्मबीर की ओर इशारा करके बोली ,इसने मेरे साथ जबदस्ती करने की कोशिश की ।धर्मबीर डरा हुआ बोला ` भाभी घर चलो ‘। उसने शराब पी रखी थी लेकिन नशा उतर चुका था । हमने उसे कुछ नहीं कहकर सिर्फ इतना ही कहा इन्हें सुबह तक हमारे पास रहने दो ।
उसी दिन जसबीर सिंह वापस आ गए लेकिन इस घटना का कोई भी प्रभाव दोनों भाइयों के प्यार में नहीं पड़ा या कम से कम हमें तो नहीं दिखा । लगभग सात वर्ष बीत गए हम अब उनके पडोसी भी नहीं रहे थे । अचानक यह खबर मिली की जसबीर सिंह का हार्ट अटैक से डेथ हो गई । हम भी उनके घर देखने गए ,धर्मबीर बहुत गंभीर मुद्रा में अपने भाई की मृत शरीर के पास बैठा था । सब कर्मकांड होने के बाद मकान मालिक ने घर खाली करवा लिया और धर्मबीर को भाई के परिवार को लेकर सर्वेन्ट क्वार्टर में शिफ्ट होना पड़ा । भाई बहुत क़र्ज़ छोड़ गए थे ,लेनदार रोज दस्तक देने लगे । धीरे -धीरे धर्मबीर ने मेहनत करके सब क़र्ज़ चुका दिया और जल्दी ही दो बैडरूम का फ्लैट खरीद कर परिवार को शिफ्ट किया । मुझे याद है उसके पास बिजली का बिल भरने को पैसे नहीं थे तब हमने ही उसे पैसे दिए थे ।
नाते रिश्तेदारो ने सलाह दी कि भाभी पर चुन्नी डालकर शादी कर लो लेकिन उसने जीवन भर किसी से भी शादी नहीं की , बस भाई के बच्चों को पढ़ा – लिखा कर तीनों बच्चों की शादी करके सेटल कर दिया ।
आज वह बहुत अकेला महसूस करता है ,बच्चे अंकल कहकर बहुत इज्जत देते हैं लेकिन भाभी इज्जत नहीं देती और अपशब्द बोलती रहती है । जब भाभी के कटु शब्द बर्दास्त नहीं होते तो हमारे पास आता है ,हमें सब सुनाता है लेकिन सांत्वना के कुछ शब्दों के सिवा हम भी क्या दे सकते हैं । बस हमारे दिल में उसके लिए इज्जत इसलिए भी अधिक है कि कलयुग में ऐसा भाई मिलना दुर्लभ है कि भाई के परिवार के खातिर अपने जीवन का हर सुख त्याग दिया , इतना तो लक्ष्मण भी नहीं कर पाए थे ।
-डॉ. रमा द्विवेदी