राजनीति

मंदिर निश्चित बनेगा…

लेकिन वह वैसे ही बनेगा जैसे उसे तोडा गया था, बाबर ने जैसे उसे तोडा था. इस मुगालते में रहना बहुत बड़ी बेवकूफी होगी की कोई दहलेंगाई करके या हिंसा फैलाकर मनमानापन कर लेगा जैसा की देश में आजादी के समय हुआ, अब उस तर्ज पर कुछ नहीं होने वाला क्योकि देश में आज सत्ता साधनेवाली सरकार नहीं देश साधने वाली सरकार बैठी है और मुस्लिम समाज का बहुत बड़ा बर्ग सच्चाई को समझ रहा है, हिन्दू जो अपने लोभ -लाभ बस तमाम खेमो में बंटा है वह भी कही न कही अपने को अपमानित महसूस कर रहा है. तथाकथित तौर पर जैसा की बिरोधी कहते है भाजपा भले इसका राजनैतिक फायदा उठा रही हो लेकिन ८०% हिन्दू जनमानस इससे उग्र मानसिकता के साथ जुट चुका है. बिरोधी भले इसे भाजपा के साथ जोड़े लेकिन राम मुद्दा पूरी तरह से हिन्दुत्व से जुट चूका है. अगर एक बार भाजपा इससे किनारा भी करना चाहे तो लोग भाजपा से किनारा कर लेंगे लेकिन राम मंदिर से किनारा नहीं करेंगे. अपने पतन के लिए बिरोधी लाख बहाने गढ़े लेकिन मोदी जिस प्रकार सच्चाई को आत्मसात किये, बिरोधी वोटबैंक के चक्कर में वैसा नहीं कर पाए.

कितनी लज्जाजनक स्थिति है की कुछलोग उस बाबर, औरंगजेब, नादिर शाह के साथ खड़े है जो हिंदुस्तान को लूटा ही नहीं यहाँ के बहु बेटियो को बेइज्जत किया, धार्मिक स्थलों को ध्वस्त किया. अंग्रेजो ने जहां जहां शासन किया वहां के लोग आज भी अंग्रेजो से नफ़रत करते है जब की हम बाबर औरंगजेब के वंशजो को गले लगाए हुए है. इनके पूर्वजो के तमाम गलतियों को हम दर किनार कर चुके है लेकिन इनमे कुछलोगों को बाबरवादी बनने की होड़ लगी हुई है. फिर भी प्रधान न्यायाधीश भारतीय परंपरा का राम कृष्ण की तरह पालन करते हुए इन्हें ऐतिहासिक गलती सुधारने का बेहतरीन मौक़ा दिए है. यद्यपि यही हमारी परम्परा भी है और कमजोरी भी. एक क्षन के लिए अगर हम इनके हठ को मान भी ले और कहे की पहले वहां मस्जिद था तो सवाल उठता है की वह कौन सा सन था जिस सन में मस्जिद तोड़कर मंदिर बनाया गया. आखिर बाबर को इतने बड़े हिंदुस्तान में अयोध्या काशी और मथुरा ही क्यों दिखाई दिया. बाबर वादियो को आज गंभीर चिंतन करने की आवश्यकता है. वरना इतिहास चक्र को आजतक कोई रोक नहीं पाया है.

राजेन्द्र प्रसाद पाण्डेय

रिटायर्ड उत्तर प्रदेश परिवहन निगम वाराणसी शिक्षा इंटरमीडिएट यू पी बोर्ड मोबाइल न. 9936759104