बहुत कोशिश कर ली कि दूर चला जाऊं
बहुत कोशिशें कर ली कि दूर चला जाऊं
पर दिल से क्यूँ दूर जा नहीं पाता
वादे जो किये थे अकेले में तुझसे
उन वादों को ठुकरा मैं क्यूँ नही पाता
हाँ यह सच है कि
किस्मतों पे हमारी भी हक़ नही हमारा
बैठे थे जो अग्नि की वेदी पे साथ
हमने तो सब कुछ है उन्ही पे हारा
क्या हुआ जो आंसू बहते हैं रात दिन
अब तो अपने आंसुओं पे भी
हक़ नही हमारा
अब तो बस एक ही कोशिश है
कि अपने चेहरे से वो नूर जला जाऊं
तुझसे दूर
बहुत दूर चला जाऊं
पर चाह कर भी दूर नही जा पाता
वादे जो किये थे अकेले में तुझसे
उन वादों को ठुकरा मैं क्यूँ नही पाता
#महेश