खट्ठा-मीठा: बाप नम्बरी, बेटा दस नम्बरी
‘चोर का भाई गिरहकट’ यह कहावत अब पुरानी हो गयी है। अभी-अभी बिहार से एक नई कहावत चली है- ‘चारा चोर का बेटा मिट्टी चोर’। जी हाँ, आप सही समझे! मैं लालू प्रसाद के सपूत की ही बात कर रहा हूँ। अँगूठा छाप माँ और बड़बोले बाप की नौवीं फेल तेजस्वी औलाद को उपमुख्यमंत्री बनाने का जो महान् कार्य बिहार की जनता ने किया था, उसका सुपरिणाम सामने आने लगा है। कुर्सी संभाले हुए अभी अधिक दिन नहीं हुए, लेकिन सपूतों ने अपने बाप के चरणचिह्नों पर चलते हुए घोटालों का सिलसिला शुरू कर दिया है। इसे कहते हैं- पूत के पाँव पालने में दिखाई देना।
यह जरूर है कि घोटालों का आकार अभी छोटा है। बाप ने 900 करोड़ का चारा खाया था, तो बेटा केवल 90 लाख की मिट्टी खा पाया। कहाँ 900 करोड़ और कहाँ 90 लाख। लेकिन शुरूआत बुरी नहीं है। बिहार की जनता जनार्दन ने चाहा तो आगे और तरक्की करेगा। अगर तेजी से तरक्की नहीं की, तो दो-दो भाइयों तेजस्वी और तेज प्रताप का ‘तेज’ कब काम आएगा?
अब यह मत पूछना कि उनका सजायाफ्ता बाप अभी तक खुला क्यों घूम रहा है। जनाब जमानत पर हैं। मात्र तीन साल की ही तो सजा हुई है। उससे ज्यादा समय तो जमानत पर छूटे हो गया। अब अगर केस की सुनवाई कभी हुई भी, तो फैसला आते-आते कई साल और लग जायेंगे। तब तक चारा चोर और बूढ़ा हो जाएगा। तब अगर सजा हुई भी तो यह कहकर छूट जाएगा कि हुजूर मैं बहुत बूढ़ा और कमज़ोर हो गया हूँ, अब मुझे घर जाने दो। यह सुनते ही ‘मी लार्ड’ उनको बाइज्जत घर भेज देंगे।
अब अगर आपको सिर धुनना है तो धुनते रहिए। मर्जी आपकी।
— बीजू ब्रजवासी
चैत्र शु 10, सं 2074 वि (6 अप्रेल, 2017)