कविता

परिवर्तन

राजनीति की बात तो आज सभी करते है
बड़े-छोटे जो भी हो लेखक रचनाकार
लिख डालते है बड़ी आसानी से
राजनीति से जुड़ी तमाम खामियों को

लेकिन मेरे भाई बंधू……
सचमुच, अगर चाहते हो परिवर्तन लाना
तो राजनीति समस्याओं को कुरेदना छोड़ो
घुमाओ अपनी कलम सही दिशा की ओर

लिखा जाए अगर इतिहास के पन्नों पर
तुम्हारा भी एक नाम तो…..
परिवर्तन की ज्वालामुखी
भड़काओ अपनी कलम से

दो अपनी कलम को नई धार
बदल दो उन रंगीन स्याहियों को
जो लिखती है झूठी शान
और भर दो उसमे
मानव वेदना और कराह की स्याह

और फिर करो प्रहार
तमाम उन समाजिक बुराईयों, कुप्रथाओं पर
जिसकी कुंठित सोच और दुर्व्यवहार से
आज घायल हो रहा हमारा अंतर्मन

हाँ करो प्रहार
मानव के उस दैत्य रूपी व्यवहार पर
जिससे आहत हो बिखण्डित हो रही
आंतरिक संवेदनाओं की नीव
टूटता जा रहा परस्पर विश्वास
पत्थर हो रहा इन्शान

देखो! रो रही मानवता आज
विलाप में डूबा जज्बात
बोलो! और कितना स्वार्थी बनेगा इन्सान
अहम है ये बात!
चाहो तो देना इसे अपनी आवाज।
हाँ और एकबात!
अगर गढ़नी है सिर्फ तुम्हे कविता…
तो फिर कोई नहीं…
यूँही चलने दो ये सिलसिला…

*बबली सिन्हा

गाज़ियाबाद (यूपी) मोबाइल- 9013965625, 9868103295 ईमेल- [email protected]