कविता
दबाकर दर्द सीने में वो हंसती मुस्कुराती है जो होती है अकेले में जख्म अपने सहलाती है रहे सब खुश
Read Moreसुनो ! उस एक मुलाकात को जी रही हूं और शायद उम्र के हर दहलीज पर जीती रहूंगी मन पर
Read Moreतुम न आते तो अच्छा था आ के इतने करीब मेरे यूं चले न जाते तो अच्छा था दिल में
Read Moreसुनो ! बहुत सी बातें तुम्हारी मेरे दिल के करीब है सोचती हूं उसे करती हूं बाते कभी कभी और
Read Moreलोग मिलते हैं मिलते ही रहते है यह मिलने-जुलने की परंपरा जीवन-पर्यन्त चलता ही रहता है बस मिलने वालों के
Read Moreकभी यूँ भी कभी तुम खुद चले आना कभी तुम मुझे बुला लेना फुरसत के उन पलों में तन्हा ना
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