गीत/नवगीत

गीत

ठहर जाओ जो एकपल तुम
मैं दिल की बात कह जाऊं।
बहुत चाहा ना कहने की
कैसे,, दिल को मैं समझाऊ।।
ठहर जाओ…..

छुपा रखी है मैंने तो,
तेरी तस्वीर आंखों में।
कितनी सुंदर,कितनी प्यारी,
लगे है मुझको लाखो में।।
तेरे ही नाम ये गजलें,,
तेरे ही गीत मैं गाऊ।।
ठहर जाओ जो एकपल तुम
मैं दिल की बात कह जाऊं….

हुई हलचल मेरे दिल में,
जो दस्तक प्यार ने दी है ।
रही ना खुद ही खुद की मैं ,,
जिंदगी यार को दी है।।
कभी तो आंख में आँसू,,,
कभी तन्हा ही मुसकाऊ।
ठहर जाओ जो एकपल तुम
मैं दिल की बात कह जाऊं…

मेरी साँसों में महकी है
तेरे एहसास की खुशबू।
दीवानी हो गई हूँ मैं,,
नही दिल पे मेरा काबू।।
कभी गुमसुम सी रहती हूं,,
कभी लहरों सी लहराऊ।
ठहर जाओ जो एकपल तुम
मैं दिल की बात कह जाऊं….

नदी चंचल बहे मन में
समंदर बन मैं लहराई।
छुआ तुमनें जो नजरों से
तो गुलशन में बहार आई।।
जो दर्पण में निहारु मैं,,
तो छुईमुई सी मैं शरमाऊ।
ठहर जाओ जो एकपल तुम
मैं दिल की बात कह जाऊं….

— बबली सिन्हा ‘वान्या’

*बबली सिन्हा

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