सामाजिक

नियम

जीवन नियमों से चलता है। ये पूरी सृष्टि नियमबद्ध है। कुछ भी नियम के प्रतिकूल नहीं होता। मानव को ये सुविधा उपलब्ध है कि वो चाहे तो अपने जीवन के नियम स्वयं बना सकता है। जो मनुष्य अपने लिए कोई नियम तय नहीं करता उसे दूसरों के बनाए हुए नियमों पर चलना पड़ता है। अब ये हमें तय करना है कि अपने जीवन के हम सम्राट बनेंगे या गुलाम। आपकी योग्यता,प्रतिभा आपको सही मार्ग दिखा सकती है लेकिन लक्ष्य तक पहुंचने के लिए गति आपको नियम ही देते हैं। नियमों के अभाव में लक्ष्य तक पहुंचना असंभव है। हम में से अधिकांश व्यक्तियों को जीवन में बड़ी-बड़ी परेशानियों का सामना इसीलिए करना पड़ता है कि हम छोटे-छोटे नियमों का पालन नहीं करते। अगर आप चाहते हैं कि आपका नाम सफल मनुष्यों की सूची में लिखा जाए एवं आप इस जगत से संतुष्टि के साथ विदा लें तो जीवन में कुछ नियम अवश्य बनाइए। ना केवल नियम बनाइए परंतु उनका पालन भी कीजिए। आपकी सफलता का मार्ग स्वयमेव प्रशस्त हो जाएगा।

भरत मल्होत्रा

*भरत मल्होत्रा

जन्म 17 अगस्त 1970 शिक्षा स्नातक, पेशे से व्यावसायी, मूल रूप से अमृतसर, पंजाब निवासी और वर्तमान में माया नगरी मुम्बई में निवास, कृति- ‘पहले ही चर्चे हैं जमाने में’ (पहला स्वतंत्र संग्रह), विविध- देश व विदेश (कनाडा) के प्रतिष्ठित समाचार पत्र, पत्रिकाओं व कुछ साझा संग्रहों में रचनायें प्रकाशित, मुख्यतः गजल लेखन में रुचि के साथ सोशल मीडिया पर भी सक्रिय, सम्पर्क- डी-702, वृन्दावन बिल्डिंग, पवार पब्लिक स्कूल के पास, पिंसुर जिमखाना, कांदिवली (वेस्ट) मुम्बई-400067 मो. 9820145107 ईमेल- [email protected]