शिशुगीत

शिशुगीत – 28

 

1. मच्छरदानी

मच्छरदानी-मच्छरदानी
तेरी भी इक अजब कहानी
न तू दानी, न तू मच्छर
नाम तेरा किसकी शैतानी

2. दालचीनी

हाल दालचीनी का कैसा
बिल्कुल मच्छरदानी जैसा
दाल न चीनी फिर भी देखो
नाम अजूबा पाया ऐसा

3. चूहेदानी

चूहेदानी चूहे पकड़े
तनिक न बेचारी ये अकड़े
क्यों कहलाती चूहेदानी
सोच-सोच चिन्ता में जकड़े

4. हलवा

हलवा हम बच्चों का प्यारा
मीठा-मीठा, न्यारा-न्यारा
चाहे जितना दे दो मुझको
मैं तो खा जाता हूँ सारा

5. खीर

खीर बहुत मन को भाती है
बिगड़ा मूड बना जाती है
ताकत मिलती इससे हमको
दीदी पूरी में खाती है

*कुमार गौरव अजीतेन्दु

शिक्षा - स्नातक, कार्यक्षेत्र - स्वतंत्र लेखन, साहित्य लिखने-पढने में रुचि, एक एकल हाइकु संकलन "मुक्त उड़ान", चार संयुक्त कविता संकलन "पावनी, त्रिसुगंधि, काव्यशाला व काव्यसुगंध" तथा एक संयुक्त लघुकथा संकलन "सृजन सागर" प्रकाशित, इसके अलावा नियमित रूप से विभिन्न प्रिंट और अंतरजाल पत्र-पत्रिकाओंपर रचनाओं का प्रकाशन