कविता

अमन के फूल

लो फिर मिटा दे भेदभाव
खिला दे अमन के फूल फिर

बदल रही है वक्त की नजाकत
लो मिला ले प्रेम की चाहतें फिर

न हो अब रंग रूप का भेद हम में
मिल आये गले एक बार और फिर

घिर न आये माहौल फिर नफरतों का
न फिरने पायें अरमानों पे धूल फिर

आओ फिर ऐक बार मिल ले गले
फिजा़ओं में खिलें अमन के फूल फिर।

अल्पना हर्ष,बीकानेर

अल्पना हर्ष

जन्मतिथी 24/6/1976 शिक्षा - एम फिल इतिहास ,एम .ए इतिहास ,समाजशास्त्र , बी. एड पिता श्री अशोक व्यास माता हेमलता व्यास पति डा. मनोज हर्ष प्रकाशित कृतियाँ - दीपशिखा, शब्द गंगा, अनकहे जज्बात (साझा काव्यसंंग्रह ) समाचारपत्रों मे लघुकथायें व कविताएँ प्रकाशित (लोकजंग, जनसेवा मेल, शिखर विजय, दैनिक सीमा किरण, नवप्रदेश , हमारा मैट्रौ इत्यादि में ) मोबाईल न. 9982109138 e.mail id - [email protected] बीकानेर, राजस्थान